October 23, 2025

मुस्कान

नौकरी सुबह की धुंध-सी उड़ गई।

मैं हँसा—
“तत् त्वम् असि।”
मैं वही हूँ।
अब भी नदी,
अब भी बहाव।

पदक?
डर नहीं।
हर साँस पूजा,
हर कदम कर्मयोग।

शिव ने नृत्य किया,
पुराना तोड़ा।
राख से—
नया सवेरा,
नया गीत।

मैं टूटा नहीं।
मैं बन रहा हूँ।

मैं पूर्ण हूँ।
ॐ शांति।
जय!

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