August 01, 2025

पहला दिन


सुबह की किरण, हल्की ठंडक,
मेरी बिटिया, तैयार है नई उड़ान को।

प्रबंधन का लिबास, पहली बार देखा,
काले ब्लेज़र में, चमकता उसका विश्वास।

दिल में गर्व, आँखों में नमी,
याद आए बचपन की वो रंगीनी।

छोटी सी गुड़िया, अब बन गई नारी,
सपनों की राह में, मेहनत है यारी।

कैंपस के द्वार, खोलते नया आसमान,
ज्ञान की गंगा, बहेगी अब बेकरार।

हाथ थामकर, मैंने कहा, “बेटी, जी ले पल,”
तेरे सपने, बनेंगे अब सच का जल।

आँखों में चमक, सितारे हैं सारे,
मेरी दुआएँ, तेरे संग हर किनारे।

मेरी बेटी, मेरी शान, गर्व की कहानी,
नई राहों में, लिखेगी अपनी निशानी।

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