February 20, 2024

जंग - 2

उफ़
ये धुप
ये छाओं
ये सुबह
और ये शाम

उफ़
ये सर्दी
ये गर्मी
ये बारिश
ये मौसम

उफ़
ये पहाड़
ये हरियाली
ये रेगिस्तान
ये नदियां

उफ़
ये जंगल
पेड़ों के
इमारतों के
भावनाओ के

उफ़
ये अपनापन
ये मस्कुराहट
ये रोना
ये गुस्सा

इन सब के बीच
बैठा है ख़ामोशी से
भीड़ मैं भी तनहा
क्यों की ....
जंग अभी जारी है

- विकास गोयल 

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